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शिक्षाविद्, जनप्रिय समाजसेवी हमारी संस्थापिका श्रीमती जसकौर मीना ने 1993 में स्वयं के भागीरथ प्रयासों से महिलाओं को प्रेरित एवम् संगठित कर के जनजाति महिला विकास संस्थान की स्थापना की। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं के लिए शिक्षा का एक बीज बोया जो आज विशाल वट वृक्ष बन कर पूर्ण रूपेण फलीभूत है। जहां कुल बालिका साक्षरता 11 प्रतिशत हुए करती थी वहीं अब ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में अल्प समय में अद्वितीय प्रगति की है।

आज चार शैक्षणिक संस्थाओं और लगभग 1450 बालिकाओं के साथ हम अपनी 25 वर्षीय यात्रा के इस पड़ाव पर गौरव का सुखद अनुभव करते हैं। हमारे लक्ष्य और हमारे प्रयासों के प्रति विश्वास दिखाते हुए आज के पच्चीस वर्ष पहले जिस प्रकार ग्रामीण, किसान माता -पिता अपनी पुत्री का हाथ थामे उसे इस गुरुकुल में शिक्षा दान के लिए ले कर आते थे, उसी प्रकार उनका विश्वास हमारे प्रति आज भी है,यही हमारी सबसे बड़ी सफलता है।

बालिका शिक्षा का उद्देश्य लिए हमारी संस्थापिका मां जसकौर मीना अकेली आगे बढ़ीं थीं किन्तु आज 25 वर्ष में हमारी असंख्य शिक्षित बालिकाएं स्थान स्थान पर उनके प्रतिनिधि के रूप में हमारा प्रतिनिधित्व कर रही हैं। यह अनुभूति ही हमें आगे बढ़ने की निरंतर प्रेरणा देती है।